famous hindi qutoes by Shri Ram Sharma Acharya
सारी दुनिया का ज्ञान प्राप्त करके भी जो स्वयं को नहीं जानता उसका सारा ज्ञान ही निरर्थक है।
– श्री राम शर्मा आर्चाय
शिक्षा वह जो हाथों को आजीविका, उपार्जन सिखाये और मानवीय दायित्वों का निर्वाह सिखाये।
जो शिक्षा पेट के लिए पराधीनता सिखाये और मन के लिए विलासिता का आवरण ओढ़ाए वह किस काम की ?
– श्री राम शर्मा आर्चाय
जो शिक्षा मनुष्य को धूर्त, परावलम्बी और अहंकारी बनाती हो वह अशिक्षा से भी बुरी है।
– श्री राम शर्मा आर्चाय
मनुष्य एक अनगढ़ पत्थर है जिसे शिक्षा की छैनी एवं हथौड़ी से सुन्दर आकृति प्रदान की जाती है।
– श्री राम शर्मा आर्चाय
जिस शिक्षा में समाज और राष्ट्र की हितचिन्ता के तत्व नहीं है, वह कभी सच्ची शिक्षा नहीं कही जा सकती।
– श्री राम शर्मा आर्चाय
हमारी शिक्षा तब तक अपूर्ण रहेगी, जब तक उसमें धार्मिक विचारों का समावेश नहीं किया जाएगा।
– श्री राम शर्मा आर्चाय
परोपकार करना दूसरों की सेवा करना और उसमें ज़रा भी अहंकार न करना यही सच्ची शिक्षा है।
-श्री राम शर्मा आर्चाय
वास्तविक शिक्षा वह है जो अपने को सुधारना और दूसरों को संभालना सिखाये।
– श्री राम शर्मा आर्चाय
मौखिक एवं लिखित शिक्षा की अपेक्षा व्यवहारिक और सदाचरण रूपी शिक्षा का प्रभाव अधिक पड़ता है।
– श्री राम शर्मा आर्चाय
जीवन एक पाठशाला है, जिसमें अनुभवों के आधार पर हम शिक्षा प्राप्त करते हैं।
– श्री राम शर्मा आर्चाय
धर्म अर्थात् कर्तव्य, फ़र्ज़, ड्यूटी, ज़िम्मेदारी और ईमानदारी का समुच्चय।
– श्री राम शर्मा आर्चाय
झूठ बोलना एक छोटी किन्तु बहुत बुरी आदत है।
– श्री राम शर्मा आर्चाय
अपने कुछ होने का अहंकार ही व्यक्ति को उसके गौरव से वंचित करता है।
– श्री राम शर्मा आर्चाय
जिसने अन्तःकरण की शरण ले ली, उसे कोई भी भय नहीं प्रभावित कर पाता।
– श्री राम शर्मा आर्चाय
व्यक्तित्व मान्यताओं, आदतों, इच्छाओं का समुच्चय मात्र है। वह इन्हीं तीनों के सहारे गढ़ा गया है।
– श्री राम शर्मा आर्चाय
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