देश की आत्मा गांव में बसती है ‘
भारत एक ऐसा देश है जहां विभिन्न तरह के रीति रिवाज़,संस्कृति,संस्कार ,वेश भूषा है जो भारत को विश्व का सबसे संस्कृतिक देश बनाती है,इस संस्कृति में चार चांद लगाते हैं इस देश के गांव,जहां अपार खुशियां हैं ,जहां की गोद में जन्मे हैं इस देश के कर्मवीर जिन्होंने भारत को आज़ाद करने के लिए अपने प्राण न्योछावर कर दिए,गांव के मिट्टी की सोंधी खुशबू से ही मन ओतप्रोत हो जाता है,इसलिए ही हम कहीं भी रहें लेकिन गांव की सुनहरी छवि कभी नहीं भूलते हैं।
गांव में कहीं ना कहीं वो देसी पन मौजूद है जो हमें हमारी ज़मीन से अवगत कराती है,हमारे संस्कार भी वहीं से उपजते हैं जो आगे चल कर हमें सफल बनाते हैं,गांव का नाम आते ही सबसे पहले दादा दादी और नाना नानी की यादें ताज़ा हो जाती हैं जिनके प्यार के बिना शायद हमारा बचपन अधूरा है,उनके किस्से और कहानियां और सुलाने का एक अनूठा अंदाज़ ये सब हमें गांव में प्रायः नसीब होता है,जीवन के बहुमूल्य दिन होते है ये सब।
अब हम बात करते हैं गांव के प्राकृतिक सौंदर्य की , हर किसी के गांव में बड़े बड़े पेड़ होते हैं जिन्हें देखते हुए हम ये समझ पाते हैं कि आम,अमरूद क्या होता है,गांव में खेती कर रहे किसान जिसपर पूरा देश नाज़ करता है उन्हें भी हम गांव के परिवेश में ही देख पाते हैं,इस देश को गांव के हर उस चीज़ की ज़रूरत है जिसे किसान बड़े मेहनत और खून पसीने से सींचता है और उसे बड़ा करता है,शहरों में उपलब्ध तमाम खाद्य सामग्री गांव की ही देन है,ऐसे में गांव को इस देश की आत्मा कहना कहीं से भी ग़लत नहीं प्रतीत होता है,उदास जीवन भी गांव की प्रकृति में घुलमिलकर निश्चित ही प्रेरणास्रोत बन जाता है जीवन खुशमय हो जाता है।
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